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Showing posts from October, 2022

करम पूजा से प्रेरणा लेकर प्रकृति से जुड़े रहें

  करम पूजा 2022 / 17 सितंबर / लेख   करम पूजा से प्रेरणा लेकर प्रकृति से जुड़े रहें डॉ. एम. डी. थॉमस   ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ 17 सितंबर को ‘करम पूजा’ का पर्व मनाया जा रहा है। कहीं-कहीं यह पर्व 16 सितंबर को भी मनाया जाता हैं। ज़ाहिर है, यह पर्व जनजातियों में, वह भी आदिवासियों में, मनाया जाता है। इस पर्व से आदिवासी संस्कृति की पहचान और गरिमा उभरकर आती हैं।   झारखण्ड पर्वों के लिए मशहूर है। जनजातियों के कई पर्व होते हैं। करम पूजा उनमें सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण है। करम पर्व झारखण्ड और बंगाल के झारग्राम में बहुत ही खास है। इसके अलावा, यह पर्व बिहार, असम, मध्य प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, आदि सूबों में मनाया जाता है। झारखण्ड में यह दिन सार्वजनिक छुट्टी भी है। करम पर्व हिंदू महीना भाद्रप्रद या भादो में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। आदिवासियों के अनेक समुदायों में इस पर्व का महत्व ज्यादा है, जैसे मुंडा, हो, खोरथा, कोरबा, उराँव, मुंडाद्री, संथाली, नागपुरी, बिझवाड़ी, ब...

श्री नारायण गुरु सामाजिक बदलाव के जीवंत मूर्ति

  श्री नारायण गुरु जयंती 2022 / 10 सितंबर / लेख श्री नारायण गुरु सामाजिक बदलाव के जीवंत मूर्ति डॉ. एम. डी. थॉमस ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ 10 सितंबर को ‘श्री नारायण गुरु जयंती’ मनायी जा रही है। आप की जयंती केरल के ‘मलयालम्’ पंचांग के अनुसार ‘चिंगम्’ माह के ‘चतयम्’ तारे के दिन मनायी जाती है। जयंती की तारीख हर साल बदलती ही नहीं, इस तारीख को लेकर अलग-अलग परंपराएँ भी हैं। खैर, आपकी जयंती सिर्फ केरल में ही नहीं, भारत के अन्य प्रांतों व अन्य देशों में भी मनायी जाती है, जहाँ केरल के लोग बसते हैं। जयंती मनाने के तौर पर नारायण गुरु के नाम पर बने मंदिरों व मूर्तियों के साथ-साथ सड़कों पर सजावट, मंदिरों में फूलों की अर्चना, प्रार्थनाएँ, शिक्षा संस्थाओं में व्याख्यान व चर्चाएँ, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जुलूस, गरीबों को खाना खिलाना, सर्व धर्म प्रार्थना, आदि होते हैं। एक परंपरा के अनुसार, नारायण गुरु का जन्म ईसवीं सन् 28 अगस्त 1856 को और समाधि 20 सितंबर 1928 को हुई थीं। आप केरल की राजधानी तिर...

मदर तेरेसा द्वारा कमतरों की सेवा में ईश्वर-साधना

  मदर तेरेस्स जयंती 2022 / 26 अगस्त / लेख मदर तेरेसा द्वारा कमतरों की सेवा में ईश्वर-साधना डॉ. एम. डी. थॉमस   -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------                                 26 अगस्त को ‘मदर तेरेसा जयंती’ है। 26 अगस्त 1910 को मदर तेरेसा का जन्म हुआ था और आपकी मृत्यु 05 सितंबर 1997 को भी। विलायत से आकर कोलकाता को अपना कर्म-भूमि बनाकर आजीवन सेवा-कार्य करने पर आप ‘कलकत्ता की संत तेरेसा’ कहलाती है। इन्सानियत की विशिष्ट सेवा के लिए और आपके दवारा स्थापित ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटि’ के लिए भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में आपकी अहम् ख्याति है। मदर तेरेसा अल्बेनिया में, याने उस्मान साम्राज्य उत्तर मासिडोनिया के वर्तमान राजधानी ‘स्कोप्जे’ में, पैदा हुई थी। आपका मूल नाम ‘अन्जेज़े गोन्जे बोजझियु’ था, जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद है ‘आग्नेस रोसबड या लिटिल फ्लावर’, या यों कहा जाय ‘फूल की कली’ । 12 साल की उम्र में समाज-सेवा की ज़ि...

अच्छाई की साधना के लिए ज़रस्थु से प्रेरणा ली जाय

  खोरदाद साल 2022 / 21 अगस्त / लेख   अच्छाई की साधना के लिए ज़रस्थु से प्रेरणा ली जाय डॉ. एम. डी. थॉमस   -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------                                    21 अगस्त को ‘खोरदाद साल’ का पर्व मनाया जा रहा है। यह पारसी धर्म के प्रवर्तक और नबी ज़रस्थु या ज़ोरोआस्तेर का जन्म दिवस है। पारसी धर्म के अनुयायियों द्वारा इस दिन को पूरी दुनिया में पर्व के रूप में और बड़े चाव से मनाया जाता है। घर की साफ-सफाई, रंगोली, खुशबूदार फूल, जायकेदार खाना, नये-ताज़े कपड़े, विशेष प्रार्थनाएँ, आदि ‘खोरदाद साल’ के पर्व को मनाने के कुछ तौर-तरीके हैं। ज़ोरोआस्तेर को इरान की पुरानी भाषा अवेस्तन में ‘ज़ारातूश्त्रा’, फारसी में ‘ज़ारादोश्त’ और गुजराती में ‘ज़ारातोश्त’ कहते हैं। ज़रस्थु का समय ईसा पूर्व 6वीं-7वें सदी माना जाता है और इरान की प्राचीन धार्मिक संस्कृति उनके नाम पर चलती है। ज़रस्थु फारस या आधुन...

रक्षा के पवित्र बंधन से बहनें सदैव महफूज रहें!

  रक्षा बंधन 2022 / 11 अगस्त / लेख   रक्षा के पवित्र बंधन से बहनें सदैव महफूज रहें! डॉ. एम. डी. थॉमस   ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------                                   11 अगस्त को ‘रक्षा बंधन’ का पर्व मनाया जा रहा है। आम भाषा में इस पर्व को ‘राखी’ कही जाती है। राखी खास तौर पर उत्तर भारत का पर्व है। लेकिन, आजकल यह पर्व दक्षिण भारत में ही नहीं, दक्षिण एशिया के कई इलाकों में भी कुछ हलके-फुलके ढंग से मनायी जाती है।   रक्षा बंधन या राखी आम तौर पर हिंदू परंपरा के लोग मनाते हैं। हिंदू परंपरा के प्रभाव में आकर कहीं-कहीं यह पर्व कुछ अन्य समुदाय के लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। आजकल रक्षाबंधन की लोकप्रियता बढ़ी है। इसमें हिंदी फिल्मों का अहम् हाथ है, यह कहना जायज लगता है।    रक्षा बंधन चाँद को आधार मानकर चलनेवाले हिंदू पंचांग के सावन माह की आखिरी तारीख को आता है। दूसरे शब्दों में, राख...

योग ज़िंदगी और ईश्वर को एक-साथ साधने का माध्यम

  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस / 21 जून 2022 / लेख योग ज़िंदगी और ईश्वर को एक-साथ साधने का माध्यम डॉ. एम. डी. थॉमस ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया जाता है। इसे ‘विश्व योग दिवस’ भी कहते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में इस संदर्भ में 11 दिसंबर 2014 में प्रस्ताव पारित हुआ था। इस प्रस्ताव को 117 सदस्य देशों का समर्थन मिला था और यह निर्णय 2015 में प्रभाव में भी आया। पहले विश्व योग दिवस पर 47 इस्लामी देशों को मिलाकर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया था। ‘विश्व योग दिवस’ को यादगार बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2015 में 10 रुपये का सिक्का जारी किया। इसी दिशा में, संयुक्त राष्ट्र संघ के डाक विभाग ने भी 2017 में कई योगासनों को पेश करते हुए 10 डाक टिकट जारी किये। योग को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने के लिए भारत के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ-साथ दुनिया के ज्यादातर देशों व समुदायों से मिला समर्थन ‘सदभाव’ की बड़ी निशानी के रूप में समझा जाना च...

नैतिक और आध्यात्मिक गुरुता के धनी कबीर

  कबीर जयंती 2022 / 14 जून / लेख नैतिक और आध्यात्मिक गुरुता के धनी कबीर डॉ. एम. डी. थॉमस   ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ 14 जून को कबीर जयंती मनायी जा रही है। कबीर ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पैदा हुए थे। माना जाता है कि कबीर 1398 और 1518 के बीच इस दुनिया में रहे। ऐसा भी माना जाता है कि कबीर काशी के लहरतारा ताल के आसपास प्रकट हुए थे। काशी का वर्तमान नाम उत्तर प्रदेश का ‘वाराणसी’ है। कबीर पेशे से जुलाहा थे। उनका पूरा नाम कबीरदास है। ‘दास’ शब्द ईश्वर की भक्ति में विनम्रता ज़ाहिर करते हुए भक्तिकाल के कई कवियों ने अपनाया था।   कबीर एक बहु-आयामी शख्सियत रहे। वे कवि, गुरु, संत, दार्शनिक, चिंतक, समाज सुधारक, भक्त, रहस्यदर्शी, आदि एक साथ थे। कबीर एक क्रांतिकारी विचारक थे। वे विचार के अनुसार ही आचार भी करते थे। बेहतर समाज को तामीर करने की दिशा में आप अपने आप में एक ‘मौलिक और सटीक जीवनशैली की परंपरा’ बनकर उभरे, यह कबीर की अहमियत रही। भारत में ही नहीं, भारत के बाहर भी, कबीर का कोई मुकाबल...

विश्वास किया नहीं जाता, हो जाता है: संत थॉमस

  संत थॉमस दिवस 2022 / 03 जुलाई / लेख विश्वास किया नहीं जाता, हो जाता है: संत थॉमस  डॉ. एम. डी. थॉमस ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------                   03 जुलाई को ‘संत थॉमस दिवस’ मनाया जाता है। थॉमस ईसवीं सन् 52 में भारत के पहले ईसाई के रूप में केरल के कोडुंगल्लूर में आये थे। कुछ बीस साल बाद वे ईसवीं सन् 72 में 03 जुलाई को तमिल नाडु के माइलापूर में किसी कट्टरवादी के वार से शहीद हुए थे। इस साल उनकी शहादत के 1950 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह साल भारतीय ईसाइयत के 1950वीं सालगिरह भी है। थॉमस को भारत के ‘संरक्षक संत’ मानने की रिवाज़ है। इन कारणों से 03 जुलाई को ‘भारतीय ईसाई दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। थॉमस ईसा मसीह के बारह शिष्यों में से एक थे। ‘थॉमस’ शब्द अरामी भाषा के ‘तोमा’, सिरियनी भाषा के ‘तवमा या तोमा’, इब्रानी भाषा के ‘तोम’ और यूनानी भाषा के ‘दिदीमोस’ से आता है, जिसका अर्थ है ‘ट्विन’ या जुड़वां’। बाइबिल के ‘नया विधान’ में तीन जगह थॉमस ...

सेवा की रूहानियत : ईसाई नज़रिया

सेवा की रूहानियत : ईसाई नज़रिया डॉ. एम. डी. थॉमस ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ सेवा का कोई धर्म नहीं है। सेवा सिर्फ सेवा है। सेवा अपने आप में एक अहम् मूल्य है। वह इन्सानों की होती है। वह सभी इन्सानों के लिए भी होती है। सेवा सभी धर्मों के परे स्वयं एक बेनज़ीर धर्म है। सेवा एक इन्सानी जज़्बात है। वह एक रूहानी साधना है। वह एक बेहतरीन इन्सान का गुण है। सेवा एक सुलझे हुए और शरीफ इन्सान की पहचान भी है।  ईसाई परंपरा में सेवा के एक जबर्दस्त दर्शन हैं, जिसकी बुनियाद ईसा की शख्सियत खुद है, उनकी ज़िंदगी है। उसमें सेवा का नज़रिया काफी सार्वजनिक, सार्वभौम, सामाजिक और रूहानी है। सेवा का ईसाई नज़रिया सिर्फ ईसाइयों के लिए हो, ऐसा तो नहीं है। सेवा के बारे में जो भी बातें हैं, चाहे किसी भी परंपरा से हो, वे सभी इन्सानों के लिए बराबर तौर पर लायक हैं। ईसा के मसीहाई अवतार का मकसद इन्सान और इन्सानियत की सेवा करना था। ईसा ने कहा था, ‘‘मैं सेवा कराने नहीं, सेवा करने और सबके कल्याण की खातिर अपनी जान नौच्छ...

गरीबों की आज़ादी के साथ खिलवाड़?

  गरीबों की आज़ादी के साथ खिलवाड़? डॉ. एम. डी. थॉमस --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- गरीबों की आज़ादी को लेकर 9 जुलाई 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम् फैसला सुनाया। ‘‘गरीब व्यक्ति की आज़ादी अमीर व्यक्ति की आज़ादी से कमतर नहीं है’’। मतलब है, आज़ादी इन्सान की है, नागरिक की है, उसका अमीरी या गरीबी से कोई लेना-देना नहीं है। आमदनी या ओहदे को लेकर इन्सान-इन्सान में फर्क करना नैतिक मूल्यों का हनन है। अमीर-गरीब को लेकर मुआवजे में ज्यादा-कम करना कतई नीतिसंगत भी नहीं है। संदर्भ यह है कि पिछले साल लॉक डाउन के दौरान दूध ले जाने वाली एक लॉरी के चालक को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर बगैर एफआईआर दर्ज किये 35 दिनों तक अवैध रूप से अपनी हिरासत में रखा था। उस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने 22 दिसंबर 2020 को चालक जितेंद्र कुमार को पाँच लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला सुनाया था। ट्रक चालक जितेंद्र कुमार को पाँच लाख का मुआवजा देने के आदेश पर एतराज जताते हुए बिहार राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक अप...