मदर तेरेसा द्वारा कमतरों की सेवा में ईश्वर-साधना

 

मदर तेरेस्स जयंती 2022 / 26 अगस्त / लेख

मदर तेरेसा द्वारा कमतरों की सेवा में ईश्वर-साधना

डॉ. एम. डी. थॉमस 

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26 अगस्त को ‘मदर तेरेसा जयंती’ है। 26 अगस्त 1910 को मदर तेरेसा का जन्म हुआ था और आपकी मृत्यु 05 सितंबर 1997 को भी। विलायत से आकर कोलकाता को अपना कर्म-भूमि बनाकर आजीवन सेवा-कार्य करने पर आप ‘कलकत्ता की संत तेरेसा’ कहलाती है। इन्सानियत की विशिष्ट सेवा के लिए और आपके दवारा स्थापित ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटि’ के लिए भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में आपकी अहम् ख्याति है।

मदर तेरेसा अल्बेनिया में, याने उस्मान साम्राज्य उत्तर मासिडोनिया के वर्तमान राजधानी ‘स्कोप्जे’ में, पैदा हुई थी। आपका मूल नाम ‘अन्जेज़े गोन्जे बोजझियु’ था, जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद है ‘आग्नेस रोसबड या लिटिल फ्लावर’, या यों कहा जाय ‘फूल की कली’ । 12 साल की उम्र में समाज-सेवा की ज़िंदगी की ओर लगाव हुआ। लोरेटो बहनों के धर्म-संघ में सदस्या बनने के लिए आप आयर्लैण्ड गयी। फिर भारत आकर कोलकाता में ‘तेरेसा’ नाम से दीक्षा ली और विद्यालय में प्रधान अध्यापिका के तौर पर पढ़ा रही थी।

इस बीच, 1943 में बंगाल में अकाल हुआ। आज़ादी के बाद हिंदू-मुसलमान दंगा भी हुआ। कोलकाता की गरीबी को देखकर आप बहुत परेशानी महसूस कर रही थी। एक दिन, 1946 में जब आप रेलगाड़ी से सफर कर रही थी, आपको ‘अंतरात्मा की पुकार’ मिली। गरीबों व लाचारों की सेवा के लिए ईसा बुला रहा है, ऐसा लगा, मानो ‘बुलावे के भीतर एक बुलावा’। आपका मानसिक बदलाव हुआ और लोरेटो धर्म-संघ छोडऩे का फैसला किया, क्योंकि बहन तेरेसा को ‘मदर तेरेसा’ बनना था। यह असल में उनके विश्वास की परीक्षा थी।  

पटना के ‘होली फैमिली अस्पताल से नर्स की उपाधि लेने के बाद, 1950 में मदर तेरेसा ने ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटि’ नामक धर्म-संघ की स्थापना की और ताउम्र उसकी सदस्या बनी रही। आपने दो बॉर्डर वाली सफेद सूती साड़ी को अपना पोशाक बनाया। कोलकाता का 1952 में स्थापित ‘निर्मल हृदय आश्रम’ आपके धर्म-संघ का पहला केंद्र ही नहीं, मुख्यालय भी है। इस समय उनके धर्म-संघ में कुछ 5000 बहनें और भाई कुछ 140 देशों में कार्य कर रहे हैं। बह्मचर्य, सादगी और आज्ञाकारिता के अलावा वे ‘गरीबों के गरीब की मुफ्त और हार्दिक सेवा’ की दीक्षा भी लेते हैं। आज मदर तेरेसा की ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटि’ भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में एक अव्वल धर्म-संघ है।  

‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटि’ के कार्य-कलापों में एचआईवी-ऐड्स, कोढ़, तपेदिक, आदि से बीमारों के लिए धर्मशालाएँ, सूप रसोई, दवाखाना, चलता क्लिनिक, विद्यालय, अनाथ बच्चों व लाचार परिवारों के लिए मार्गदर्शन केंद्र, आदि शामिल हैं। झुग्गियों में रहने वाले आवाज़हीनों, हाशिये की ओर सरकाये हुओं, बेघर, भूखे-प्यासे, अंधे-लूले, बुज़ुर्ग व लावारिस हुए लोगों के लिए जाति, धर्म, आदि का फर्क नहीं किये बगैर कार्य किया जा रहा है। साथ ही, आपने लाखों बेसहारों को जानवरों जैसे जीने के बाद फरिश्ते जैसे इज़्ज़त के साथ मरने का मौका भी दिया।  

मदर तेरेसा को शुरू-शुरू में बहुत तंगी में रहकर काम करना पड़ा। माँग-माँग कर खाना भी खाना पड़ा। फिर भी, आपने अपनी हिम्मत नहीं हारी। आगे चलकर, आप को मदद की कोई कमी नहीं रही। 1963 में उनके सेवा-कार्य को भाइयों व सहयोगियों के लिए भी खोला। आज लाखों की तादाद में विविध समुदायों से स्वयं सेवक मदर तेरेसा के मिशन से तन, मन व धन से और सक्रिय रूप से जुड़े हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है।  

ज़ाहिर तौर पर, मदर तेरेसा को प्रशंसा के साथ-साथ आलोचनाएँ भी खूब मिलीं। उनके काम के बारे में भला-बुरा कहने वालों के लिए उनका रवैया था, ‘कोई कुछ भी कहे, उसे मुस्कान के साथ कबूल करे और अपना काम करते रहे’। लेकिन, आप पर बनी किताबें, फिल्म, सिक्का, आदि ही नहीं, आप को मिली ‘डॉक्टर, डी.लिट., आदि की अनगिनत उपाधियाँ व पुरस्कार समाज के निचले पायदान के लोगों को इंसानियत की राह दिखाने वाली ‘करुणा की इस मूर्ति’ के लिए वाह-वाहियाँ हैं। 

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव जेवियर पेरेज़ दि क्युएलर ने कहा, ‘‘मदर तेरेसा अपने आप में संयुक्त राष्ट्र है और वे खुद विश्व शांति है।’’ पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने 1992 में ‘मदर तेरेसा की जीवनी’ लिखकर प्रकाशित की। 06 सितंबर 2017 को आप कोलकाता महाधर्मसंभाग की ‘सह-संरक्षिका’ के रूप में घोषित हुई थी। ‘आउटलुक’ पत्रिका ने आप को भारत की 5वीं बड़ी शख्सियत बतायी। ये सभी बातें मदर तेरेसा की विशिष्ट सेवा की खुली स्वीकृति है, इसमें कोई शक नहीं है।

मानव जाति की खास सेवा के लिए मदर तेरेसा को कई पुरस्कार मिले हैं, जैसे 1962 में ‘रमण मग्ससाय शांति पुरस्कार’, 1962 में भारत सरकार की ‘पद्मश्री’, 1971 में पापा जॉन 23 शांति पुरस्कार, 1979 में ‘नोबेल शांति पुरस्कार’, 1980 में ‘भारत रत्न’ और 1985 में अमेरिका से ‘मेडल आफ फ्रीडम’। साथ ही, 04 सितंबर 2016 में वतिकैन से कैथॅलिक ईसाई परंपरा द्वारा आप को ‘संत की उपाधि’ दी गयी। आप को भारत सरकार की तरफ से ‘राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार’ भी दिया गया। लेकिन, ये सभी पुरस्कार व सम्मान आपके सेवा-भाव की गुणवत्ता के सामने फीके ही नज़र आते हैं। 

मदर तेरेसा की कुछ बातें बहुत ही प्रेरणादायक हैं, जैसे ‘‘हम समझ रहे हैं कि हम लोग जो करते हैं समंदर के महज एक बूद के बराबर ही है। लेकिन, यदि हम वह नहीं करते तो समंदर में वह बूँद कम रहेगा।’’ उनकी नसीहत है, ‘‘सादगी से जियें, ताकि दूसरे भी जी सकें। आप सौ लोगों का पेट नहीं भर सकते, तो कम से कम एक का भरो।’’ ‘प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है’ और ‘समथिंग ब्यूटिफुल फॉर गाड’ भी उनके ज़बर्दस्त नज़रिये में शामिल हैं। आप यह भी कहा करती थी, ‘‘मैं खून से अल्बेनिया की, नागरिकता से भारत की, विश्वास से ईसाइयत की, सेवा से दुनिया की, दिल से ईसा की हूँ।’’ आपकी मिली-जुली शख्सियत भारत के लिए क्या, पूरी दुनिया के लिए भी बाकायदा मिसाल है।

संयुक्त राष्ट्र के ‘सस्टेयिनबल डिवेलपमेंट गौलस् 2030’ के भीतर एक खास बात है, ‘‘कोई पीछे न रह जाये’’। बस, यही मदर तेरेसा की मुहिम थी। यही इन्सानियत की पुकार है। यही जीवन का सबसे खास मिशन है। कई कारणों से जो लोग पीछे रह जाते हैं, पीछे या किनारे किये जाते हैं और जि़ंदगी में मज़बूर हो जाते हैं, इन्हें इन्सानी जीवन की गरिमा और इज़्ज़त वापस दी जाय, यही असली अध्यात्म है, ईश्वरीय साधना भी।

‘मदर तेरेसा जयंती 2022’ के पुनीत मौके पर ऐसा संकल्प हो कि हर नागरिक व इन्सान अपने देश व समाज के कमतरों और मज़बूरों की सेवा में कुछ-न-कुछ ज़रूर करते जाये। इस प्रकार, इन्सान इन्सानियत की गरिमा बनाये रखते हुए खुदा के लायक बनें। मदर तेरेसा की प्रेरणा इस रूप में हमारा काम आये।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़​, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o); सामाजिक माध्यम: ‘https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष: 9810535378 (p).

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