तुकाराम : आस्था में मौजूद ईश्वरीय तत्व के साधक

 

तुकाराम जयंती 2023 / 09 मार्च / संदेश 

तुकाराम : आस्था में मौजूद ईश्वरीय तत्व के साधक

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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09 मार्च 2023 को संत तुकाराम जयंती मनायी जा रही है। तुकाराम महाराष्ट्र के एक महान संत कवि थे, सत्रहवीं सदी में भारत के भक्ति आंदोलन के अगुआ भी। आप मराठी भाषा के सबसे बड़े कवि हैं, जैसे अंग्रेज़ी में शेक्स्पियर और जेर्मन में गोथे। आपने मराठी भाषा और साहित्य की संस्कृति पर सब से ज्यादा प्रभाव डाला।

तुकाराम का पूरा नाम ‘तुकाराम बोल्होबा अंबिले’ था। आप ‘तुका’, ‘तुकोबा’, ‘तुकोबरया’ आदि नाम से भी जाने जाते थे। आम मान्यता के अनुसार, आप महाराष्ट्र के पुणे जिले के देहु नामक गाँव में ईसवीं सन् 1608 में पैदा हुए थे। कनकाइ और बोल्होबा आपके माँ-बाप रहे। पिताजी छोटे कारोबारी थे। कुनबी जाति में आपकापरिवार शामिल था। आपकी मौत ईसवीं सन् 16 मार्च 1650 हुई थी।

आपका बचपन बड़े प्यार-दुलार से बीता। जब आप 18 साल के थे, तब भारत में भीषण अकाल पड़ा और आपके माँ-बाप, बीबी और बच्चे की भूख से तड़पने के कारण मौत हुई। आपकी दूसरी बीबी बड़ी कर्कशा थी। ऐसी कई परेशानियों को झेलने के कारण तुकाराम का मन सांसारिक बातों से मुकर गया। आप गाँव के पास भावनाथ नामक पहाड़ी पर जाकर भगवान बिठोबा का ध्यान करते हुए दिन काटने लगे।

तुकाराम वर्करी संप्रदाय के संत थे। आप वर्करी संप्रदाय के पूर्वकालीन संतों की किताबों को बड़ी दिलचस्पी से पढ़ा करते थे। संत ज्ञानेश्वर की ‘ज्ञानेश्वरी’ और एकनाथ के ‘एकनाथी भागवत’ इन किताबों में मुख्य हैं। उन किताबों का असर तुकाराम की रचनाओं पर दिखाई देता है। वर्करी संप्रदाय की परंपरा के अनुसार ही परमार्थ का विचार और विठोबा की भक्ति व साधना तुकाराम की भी ताकत बनी। 

ईश्वर के दर्शन के लालसा में लगे तुकाराम को चैतन्य बाबा की प्रेरणा मिली। इसके बाद आप ने लोगों को कविता के ज़रिये उपदेश देना शुरू किया। धर्म की आड़ में पल रहे नकली धर्म गुरुओं के खाल उतारने के साथ-साथ समाज में मौजूद पाखण्ड और दुष्टता के खिलाफ आपने ज़ोरदार आवाज़ उठायी। आपने लोगों को संसार में पाये जाने वाली पल भर की खुशी की जगह परमार्थ की टिकाऊ खुशी की तलाश करने की सलाह दी।

तुकाराम की कविताएँ ज्यादातर ‘अभंग’ छंद में हैं। अभंग मराठी साहित्य की एक खास काव्य-शैली है। वह सीधी और सादगी लिया हुआ है। आध्यात्मिक बातों को लोक-कहानियों में घोलकर पेश करने में अभंग का कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन, आपकी कुछ रचनाएँ ‘रूपक’ में भी हैं, जो कि कान पर पड़ते ही दिल को छूने वाली हैं। तुकाराम की कविताएँ सूत्र में बँधी हुईं, कम अक्षरों में लिखी हुईं, सुंदर और मार्मिक हैं। थोड़े शब्दों में बहुत और सटीक बातें करने की कुशलता में तुकाराम की कविताएँ बहुत खूब ही नहीं, लाजवाब भी है।

समय-समय पर तुकाराम के मुँह से जो वाणी निकली, वह है ‘अभंग’। तुकाराम का ‘अभंग’ आत्मा पर केंद्रित है और इसमें इन्सानी जि़ंदगी के आध्यात्मिक पहलू साफ़ तौर पर झलकता है। उन अभंगों में अपने परिवार में हुए आफतों से परेशान होकर परमार्थ का सफर करने वाले तुकाराम दर्शाया गया है। खुद व खुदा से एक साथ रू-ब-रू होने का भाव आपके अभंगों की पहचान है।

तुकाराम के आध्यात्मिक चरित्र की तीन अवस्थाएँ गौर करने लायक और दिलचस्प हैं। साधना की पहली अवस्था में आप दुनिया से मुकर कर ईश्वर की ओर लगे हुए हैं। दूसरी अवस्था में आप ईश्वर से रू-ब-रू होने में तकलीफ महसूस करते हैं और कुछ निराश होकर दिल में टूटन का एहसास करते हैं। क्या किया जाय, यह नहीं जानते हुए तुकाराम अंधेरे में तड़पने लगता है। साधना की तीसरी और आखिरी अवस्था में तुकाराम ईश्वर से रू-ब-रू होने में कामयाब होते हैं और खुशी से फूला नहीं समा पाते हैं।

तुकाराम विट्ठल या विठोबा को ईश्वर के रूप में मानते हैं और भक्ति की बराबरी पर यकीन करते हैं। बाहरी दुनिया को आध्यात्मिक बनाने की कला में आप बेहद माहिर रहे। आप की वाणी आम लोगों को बेहद प्रिय लगती है। यह इसलिए है कि आपने आम इन्सान के दिल में होने वाले सुख, दुख, आशा, निराशा, राग, लोभ, आदि का बयान बड़े सहज भाव से किया है। आप ने भक्ति, अध्यात्म और ज्ञान को सबकी पहुँच में लाया और भक्ति आंदोलन को मज़बूत किया।

तुकाराम की मान्यता है कि सभी इन्सान परम पिता ईश्वर की औलाद है और इस कारण वे समान हैं। इंसान-इंसान में बराबरी की वकालत करते हुए आप ने ‘महाराष्ट्र धर्म’ की मुहिम चलायी। इस मुहिम से जाति व वर्ण-व्यवस्था को आप उखाड़-फेंक  नहीं सके, यह तो साफ़ है। लेकिन, इंसानी बराबरी के आदर्श से जात-पात की व्यवस्था को कुछ लचीला बनाने में आप कामयाब ज़रुर हुए। आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी सभी वर्गों को एक सूत्र में बाँधने के लिए महाराष्ट्र धर्म को इस्तेमाल किया।

तुकाराम अद्वैत और द्वैत के दर्शनों में कुछ तालमेल बिठाते हुए चला करते थे। आप ने ईश्वर की साधना में आस्था और भक्ति पर ज़ोर दिया और अपने इष्ट देवता बिठोबा से यहाँ तक कहा करते थे कि ‘हमारी आस्था की वजह से ही तू ईश्वर है’। नमक जब पानी में घोला जाता है, उसकी अलग वजूद खतम हो जाती है। ठीक उसी प्रकार तुकाराम और बिठोबा एक है, आपकी ऐसी भावना थी।

तुकाराम धर्म-सुधारक और समाज-सुधारक दोनो एक साथ थे। आपने महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव रखी। आप झूठ से सख्त परहेज करते थे। दिखावटी चीज़ें टिकती नहीं है, यह आपकी मान्यता थी। आप ने कर्मकाण्ड को नकारते हुए भक्ति पर ज़ोर दिया। साथ ही, आप ने आध्यात्म के मार्ग के रूप में कीर्तन को अपनाया। कीर्तन भक्ति-संगीत का सामूहिक रूप है, जिसमें नाचना, गाना, बजाना, आदि का त्रिवेणी-संगम है।

तुकाराम की कविताओं का संकलन ‘तुकाराम गाथा’ या ‘अभंग गाथा’ नाम से जाना जाता है, जिसमें कुछ 4500 अभंग पाये जाते हैं। तुकाराम पर कई भाषाओं में फिल्में बनीं हैं। भारत सरकार की तरफ से तुकाराम पर 100 रुपये का रजत सिक्का भी जारी किया गया था। तुकाराम नेलिंग, जाति, पेशा, आदि का फर्क नहीं करते हुए चेलों और भक्तों को अपनाया। देहु का गाथा मंदिर तुकाराम की विरासत को सब से ज्यादा बनाये रखता है।

‘तुकाराम जयंती 2023’ के पुनीत मौके पर ऐसा संकल्प हो कि संत तुकाराम से प्रेरणा लेकर आस्था की चेतना से भीतरी दुनिया को जगा दिया जाय। साथ ही, धार्मिक व सामाजिक जगत की बेहतरी की असली साधना में लगे रहना ज़रूरी है। संत तुकाराम की जय हो!

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़​, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, सामाजिक नैतिकता, सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o); सामाजिक माध्यम: https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष: 9810535378 (p). 

 

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