रामकृष्ण परमहंस अध्यात्मिक व सामाजिक चेतना के साधक

 

रामकृष्ण परमहंस जयंती 2023 / 21 फरवरी / लेख

रामकृष्ण परमहंस अध्यात्मिक व सामाजिक चेतना के साधक

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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21 फरवरी 2023 को ‘रामकृष्ण परमहंस की जयंती’ मनायी जा रही है। आपका जन्म ईसवीं सन् 18 फरवरी 1836 को हुआ था, याने फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष को। आप की समाधि ईसवीं सन् 16 अगस्त 1886 को हुई थी। आप भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक साधक, रहस्यदर्शी, गुरु, विचारक और सर्व धर्म चेतना के अगुआ थे। ‘रामकृष्ण मिशन’ आप के नाम से जाना जाता है।

श्री रामकृष्ण पश्चिम बंगाल प्रांत के कोलकाता के हूग्ली के पास कमारपुर गाँव में पैदा हुए थे। आपके बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था। पिताजी खुदीराम और माताजी चंद्रादेवी थे। आपके भक्तों के अनुसार रामकृष्ण के जन्म के पहले ही होने वाले बच्चे की अलौकिक शक्तियों का भान आपके माँ-बाप को हुआ था। आप स्वभाव के सीधे-सादे, सहज, निश्चल और विनयशील थे। सहज मुस्कान आपकी पहचान रही है।

रामकृष्ण के बचपन में ही पिताजी नहीं रहे। पढ़ाई में मन नहीं लगने पर बड़े भाई के साथ हो लिए, जो दखिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी थे। देवी की मूर्ति को सजाते-सजाते, आप बड़े भाई की मौत के बाद रामकृष्ण मंदिर के पुजारी नियुक्त किये थे। फिर क्या हुआ, मंदिर की सेवा करते-करते और काली देवी का ध्यान करते-करते उसी में लीन होकर जीना ताउम्र आपकी ज़िंदगी बनी। 

आप बचपन से ही ईश्वर के दर्शन के लिए लालायित रहते थे। भक्ति-भावना और कठोर साधना के ज़रिये आप खुदाई दीदार को हासिल करने में जी-जान से लगे रहते थे। साधना के ज़रिये आप इस निष्कर्ष​ पर पहुँचे कि सभी धर्म सच्चे हैं और वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन हैं। इस प्रकार, इन्सानियत के पुजारी होकर आप ने सभी धर्मों की एकता पर ज़ोर दिया। मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म है। इसलिए सभी धर्मों के अनुयायी एक दूजे का आदर करें और आपस में एकजुट रहें, यह ज़रूरी है, यही आपकी मान्यता थी।

रामकृष्ण अक्सर ध्यान में लीन हुआ करते थे। काली माता की मूर्ति को अपनी माता और पूरे कायनात की माँ के रूप में देखकर आप उसी में एकाकार हुआ करते थे। आपके भीतर ऐसी चेतना उभरी कि मानो एक बहुत लंबे-चौड़े समंदर से उज्ज्वल लहरें उठती रहती हो और वे एक के बाद एक आपकी ही तरफ आ रही हो। यह रूहानी एहसास की चरम दशा थी। आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना की बुलंदियों पर पहुँचने की, बस यह शुरूआत थी। 

लेकिन, रामकृष्ण के मानसिक संतुलन पर शक करते हुए आध्यात्मिक साधना से ध्यान हटाने के इरादे से परिवार की तरफ से आप की शादी करवाने का फैसला हुआ। रामकृष्ण ने खुद कन्या को सुझाया। शादी के बाद शारदामणि मुखोपाध्याय रामकृष्ण के साथ दखिणेश्वर में रहने लगी। फिर भी, आप सन्यासी का जीवन बिताया करते थे। ईश्वर के दर्शन पाना, बस यही आपकी अकेली चाह थी।

आगे चलकर रामकृष्ण ने तंत्र और अद्वैत वेदांत का ज्ञान हासिल कर जीवनमुक्त की अवस्था में पहुँच गये। संन्यास ग्रहण कर ‘रामकृष्ण परमहंस’ का नाम भी अपनाया। अन्य धर्मों की आपकी साधना यहाँ तक थी कि आप ईसा और मुहम्मद के दर्शन से भरपूर सरबोर हुए थे। आध्यात्मिक अभ्यास व सिद्धियाँ आपकी ख्याति का ज़रिया बना। सन्यासी, भक्त, विद्वान, साधक, आदि दक्षिणेश्वर मंदिर में आने लगे और रामकृष्ण परमहंस के नज़दीक हुए। कतिपय मशहूर विचारक आप के चेले भी बने।

रामकृष्ण परमहंस के चेलों में सबसे प्रिय और मशहूर स्वामी विवेकानंद थे। एक बार विवेकानंद ने गुरुजी से हिमालय पर तपस्या करने की इज़ाज़त माँगी। गुरुजी ने उससे पूछा, ‘जब आस-पास के लोग भूख-प्यास से तड़पते और अज्ञान के अँधकार से रोते-चिल्लाते हैं, तुम्हारी अंतरात्मा हिमालय के गुफा की समाधि को मंजूर करेगी’? इस पर विवेकानंद की सोच में तब्दीली आयी और उन्होंने गरीबों की सेवा में लगने का फैसला किया।

रामकृष्ण एक महान योगी, साधक व विचारक थे। सेवा को ईश्वरीय काम माना करते थे। सेवा के ज़रिए समाज की बेहतरी और सुरक्षा के प्रति समर्पित थे। जब आप ज़िंदगी के आखिरी पड़ाव की ओर थे और बीमार थे, इलाज किये जाने के चेलों व भक्तों द्वारा ज़ोर दिये जाने पर भी मुस्कुराकर टाल दिया करते थे। ध्यान और समाधि लेने में ही आपका मन रमा हुआ था। ध्यान व साधना की दशा में ही श्री रामकृष्ण परमहंस की महासमाधि हुई।

रामकृष्ण छोटी-छोटी कहानियों के ज़रिये लोगों को तालीम दिया करते थे। जात-पात व धार्मिक कटटरवाद को पुर्ज़ोर शब्दों में नकारने से आपकी तालीम राष्ट्रीय समरसता को बढ़ाने की दिशा में बड़ी प्रेरणा रही है। इसलिए, आपकी तालीमों का कोलकाता के ही नहीं, बाहर से आये हुए विद्वानों व संतों पर भी ज़बर्दस्त असर रहा। ईश्वर-रूपी रहस्य की साधना का अमिट छाप आपके संपर्क में आने वालों पर रहना आम बात रही। 

ईश्वर और आत्मज्ञान की साधना में कामिनी व कंचन के साथ-साथ काम, क्रोध, अहंकार, स्वार्थ, लालच, अज्ञान, आदि काली शक्तियाँ घोर बाधक हैं। जन्म-मृत्यु की मायाजाल से छुटकारा हासिल करने के लिए तपस्या, सत्संग और स्वाध्याय के साथ-साथ उँचे आदर्श, निस्वार्थ-भाव, अध्यात्म, दया, पवित्रता, प्रेम और भक्ति की ज़रूरत होती है। तभी ब्रह्म या बड़े की पहचान के लायक चेतना पैदा हो सकती है। यह बात आप ने अपनी तपस्या से जानी।

रामकृष्ण परमहंस वह प्रेरणा के पुंज रहे जिसके बलबूते स्वामी विवेकानंद ने ईसवीं सन् 1897 में रामकृष्ण मठ या मिशन की स्थापना की। यह मिशन बेलूर मठ से चलता है और इन्सानी समाज की आध्यात्मिक व सामाजिक भलाई के मद्देनज़र कतिपय सेवा-कार्यों में मिशन-भावना से भारत में और भारत के बाहर लगा रहता है। रामकृष्ण परमहंस के विचारों को देश-विदेश में फैलाने का श्रेय स्वामी विवेकानंद और साथियों को जाता है।

रामकृष्ण की चरम नसीहत है कि ‘मैं ने एक साथ हिंदू, ईसाई और इस्लामी परंपराओं की साधना की है और जाना है कि एक ही ईश्वर सबका मालिक है। साथ ही, ईसा, मुहम्मद, राम, कृष्ण, आदि एक ही ईश्वर की गवाही देते हैं। ईश्वर उस पानी के समान है जो अलग-अलग बरतन में होकर भी एक है। इसलिए, आप लोगों को भी अलग-अलग परंपराओं को साधकर उनके सार्वर्भौम मूल्यों को अपनाना होगा और ईश्वर व धर्म को लेकर अलगाव की भावना को खत्म करना होगा।’  

‘रामकृष्ण परमहंस जयंती 2023’ के पुनीत मौके पर श्री रामकृष्ण परमहंस से भरपूर प्रेरणा लेने और आध्यात्मिक और सामजिक चेतना के धनी बनने का संकल्प लिया जाना चाहिए। साथ ही, सब लोगों को सभी धार्मिक परंपराओं की कुछ साधना के ज़रिये सार्वजनिक मूल्यों को अपनाने और सर्व धर्म भावना के अगुए बनने की दिशा में प्रतिबद्ध होना चाहिए। रामकृष्ण परमहंस की जय हो!

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़​, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, सामाजिक नैतिकता, सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o); सामाजिक माध्यम: https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष: 9810535378 (p). 


 

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