जीवन का मेला एक विशिष्ट कृति
जीवन का मेला एक विशिष्ट कृति
डॉ. एम. डी. थॉमस
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‘जीवन का मेला’ श्री अमरेंद्र कुमार मिश्र द्वारा लिखित नाटक कथावली है। यह ग्यारह नाटकों का एक वैविध्यपूर्ण और अनूठा संग्रह है। इस नाटक कथावली में बड़े ही रोचक प्रसंगों को समावेषित किया गया है। पात्र-नियोजन भी विशेष उल्लेखनीय है।
‘जीवन का मेला’ नामक नाटक में मिश्र जी ने ‘मनुष्य के अंदर की वृतियों’ को पात्र बना कर नाटक को बहुत ही विशेष बनाया है। ‘भारतवर्ष की फुलवारी’ नामक नाटक में आपने भारतवर्ष के प्रदेशों को पात्र बना कर उनके गुणानुसार वर्णन के साथ नाटक को विशिष्ट बनाया है।
‘जीवन का मेला’ में संकलित मिश्र जी के सभी नाटक नवीनता के साथ-साथ सार्वभौमता का गुण भी लिये हुये हैं। अब तक लिखे गये मिश्र जी के नाटकों की अपेक्षा इन नाटकों से नाटक-लेखन को ही एक नयी दिशा मिलती प्रतीत होती है।
श्री
अमरेंद्र कुमार मिश्र की सक्रिय साहित्य-साधना इसी प्रकार चलती रहे। हिंदी साहित्य
ऐसे अद्भुत एवं नवीन सामग्रियों से समृद्ध होता रहे यही मेरी मंगल कामनायें हैं।
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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।
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जीवन की मेला (पुस्तक, नाटक संग्रह), गाजियाबाद -- पृष्ठ संख्या 05 में -- 02 मई 2010 को प्रकाशित
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