बहा उल्लाह से प्रेरणा लेकर विश्व एकता को बढ़ायें

बहा उल्लाह जयंती / 07 नवंबर / लेख

बहा उल्लाह से प्रेरणा लेकर विश्व एकता को बढ़ायें

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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07 नवंबर 2021 को बहाई धर्म के संस्थापक बहा उल्लाह का जन्म दिवस मनाया जा रहा है। असल में बहा उल्लाह का जन्म 12 नवंबर 1817 को इरान के तेहरान में हुआ था। लेकिन, आजकल की बहाई रिवाज़ के मुताबिक बहा उल्लाह का जन्म दिवस मनाने की तारीख हर साल बदलती है। 

ज़ाहिर है, बहा उल्लाह 19वीं सदी में फारस के एक मशहूर धर्म नेता रहे। आप का जन्म दिवस बहाई पंचांग के नौ पवित्र दिनों में एक है। इस दिन बहाइयों द्वारा काम से छुट्टी लेने की परंपरा है। आज दुनिया में बहा उल्लाह को मानने वाले कुछ 50 लाख लोग हैं। इसराएल के हायफा के पास माउण्ट कारमल बहाइयों का विश्व केंद्र भी है।

बहाई परंपरा में ‘बाब’ को ईश्वर का प्रकट रूप माना जाता है। बाब ने ही बहा उल्लाह के आगमन की भविष्यवाणी की थी। जब बहा उल्लाह 27 साल के थे, उन्होंने बाब की भविष्यवाणी को सार्थक करते हुए एक नयी आस्था को पेश करने लगे, जिसकी वजह से उन्हें बहुत तकलीफ झेलना पड़ा, तेहरान के कारागार में कैद होना भी पड़ा। लेकिन, कारावास के समय उन्हें खुदा दीदार हुआ। यह जानकर उन्हें इरान से इराक़​ भेज दिया गया। बेहद परेशानियों के बाद अंत में ‘अक्का’ में कैदखाने में ही आपने आखिरी साँस ली।

बहाई परंपरा में बाब और बहा उल्लाह के जन्म दिवस को आगे-पीछे मनाने की रिवाज़ है। ‘किताब-ए-अक़्दास​’ के अनुसार, बाब और बहा उल्लाह के जन्म दिनों को मनाने के दो दिनों को ‘जन्मदिवस द्वय’ कहा जाता है। ‘अब्दुल बहा’, जो कि बहा उल्लाह के बेटे थे, के मुताबिक बहा उल्लाह के जन्म दिवस की खुशी को बहाई समुदाय की एकता बढ़ाने के लिए मनाया जाना चाहिए। सामुदायिक प्रार्थना बहा उल्लाह का जन्म दिवस मनाने का मुख्य तरीका है।

नयी दिल्ली का ‘लोटस टेंपिल’ या कमल का मंदिर बहाई समुदाय की पहचान बनी हुई है। यह भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में भी मशहूर है। कमल के फूल की आकृति में बनी यह इमारत ‘बहाई उपासना मंदिर’ के तौर पर जाना जाता है। 1986 में बनकर तैयार हुए इस मंदिर के भीतर मूर्ति व पूजा-पाठ का न होना इसकी विशेषता है। यह खूबसूरत भवन और इसका लुभावना प्रांगण धर्म-निरपेक्ष तौर पर देश-विदेश के लोगों को सदैव आकर्षित करता है, यह इसकी बड़ी खूबी है।

बहाई धर्म का प्रतीक है ‘नौ नुकीला तारा’। शुरू में बतौर ‘एक सिर, दो हाथ और दो पैर’ के अर्थ में ‘पाँच नुकीला तारे’ की मान्यता थी। लेकिन, बाद में संख्या ‘नौ’ की सार्थकता को महत्व दिया गया। संख्या ‘नौ’ एक अंक की संख्याओं में सबसे बड़ी है। यह पूर्णता का प्रतीक है। यह संख्या मानवीय आकांक्षाओं के फूलने-फलने और भरे-पूरे होने का प्रतीक भी है। इन्सान के शरीर की ओर भी इस प्रतीक का इशारा है।

बहाई पंचांग सूरज को आधार मानकर बनाया हुआ है। इसमें 19 दिनों के 19 महीने होते हैं, जिन्हें पूर्णता, दया, आदि मूल्यों का नाम दिया गया है। 4-5 दिन ज्यादा भी हैं, जो कि 18 और 19 महीनों के बीच आते हैं। पहला माह बाब की तालीम के साल से माना जाता है। ठीक इसी प्रकार बहाई लोग 19 दिनों के लिए सूरज के उगने से लेकर अस्त होने तक उपवास किया करते हैं। खुद को खुदा के नज़दीक पहुँचाना और आत्मा को जोशीला बनाना इस उपवास का उद्देश्य है।

ईश्वर को सीधे जानना मुमकिन नहीं है, यही बहाई नज़रिया है। दूतों के ज़रिये ही ईश्वर को जाना जा सकता है। ऐसे में, इब्राहीम, मूसा, ज़ोरोआस्त्रूस, बुद्ध, ईसा, मुहम्मद, आदि को मानना बहाई के लिए ज़रूरी है। लेकिन, बहाई मान्यता के अनुसार बहा उल्लाह ईश्वर के दूतों में आखिरी है। फिर भी, कुल मिलाकर यह मानना जायज होगा कि ईश्वर के इंतज़ामात पर पूर्ण विराम डालना इन्सान के बस की बात नहीं है।

‘थि हिडन वेर्डस’ और ‘किताब-ए-अक़्दास​’ बहा उल्लाह की दो खास किताबें हैं। बहा उल्लाह की मुख्य तालीम में अहम् है ‘जातियों, देशों व धर्मों में एकता और विश्व शांति’। ‘ईश्वर की एकता’, ‘धर्मों की एकता’, ‘इन्सानियत की एकता’ सभी समुदायों को एक मंच पर लाने लायक बातें भी हैं। ‘ईश्वरीय दूतों में एकता, आध्यात्मिक, नैतिक व बौद्धिक सच्चाई, नर-नारी की बराबरी, जातीय और राष्ट्रीय एकता, विश्व नागरिकता, आदि भी बहाई तालिमात के महत्वपूर्ण तत्व हैं।

‘बहा उल्लाह जयंती 2021’ के पुनीत मौके पर सभी समुदायों के लोगों को बहा उल्लाह से प्रेरणा लेकर ईश्वर, आस्था, इन्सानियत व समाज की एकता को मज़बूत कर विश्व समाज का नागरिक बनते जाना होगा। देश व समाज की बेहतरी, मुझे लगता है, बस, इसी राह में ही हासिल होगी।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं। 

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), and ‘www.ihpsindia.org’ (o); ब्लॅग: https://drmdthomas.blogspot.com’ (p); सामाजिक माध्यम: ‘https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p) and ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p)  और दूरभाष: 9810535378 (p).

 

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