शिक्षक ‘गुरु’ बने और छात्रों की ज़िंदगी बनाये

शिक्षक दिवस 2021 / 05 सितंबर / लेख

शिक्षक ‘गुरु’ बने और छात्रों की ज़िंदगी बनाये

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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शिक्षक दिवस या अध्यापक दिवस भारत में 05 सितंबर को मनाया जाता है। संदर्भ है डॉ. सर्व पल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस। संयुक्त राष्ट्र या उनेस्को द्वारा 1994 में घोषित ‘विश्व शिक्षक दिवस’ 05 अक्टूबर को मनाया जाता है। फिर भी, दुनिया के कुछ 100 से अधिक देशों में शिक्षक दिवस अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है।

जैसा कि हमें मालूम है, डॉ. सर्व पल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे। आप भारतीय संस्कृति के संवाहक, दार्शनिक और शिक्षाविद् होने के साथ-साथ एक अच्छे शिक्षक भी रहे। आप इस खातिर देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाज़े गये भी थे। आपके जन्म दिवस पर 1962 से लेकर ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाना शुरू हुआ। 

‘शिक्षकों की दशा को दुरुस्त करना, उनकी दिशा को सँवारना, उन्हें अपने कार्य के लिए अधिक योग्य बनाना, शिक्षा के लिए विद्यार्थी के अधिकार को सुरक्षित करना’, आदि संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘विश्व शिक्षक दिवस’ की घोषणा और कार्य-योजना में शामिल हैं। साथ ही, ‘शिक्षक शिक्षा की देन है’, ‘शिक्षक कल की इमारत के स्तंभ हैं’, गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए एकजुट हों’, ‘भविष्य में निवेश करें, शिक्षकों में निवेश करें’, आदि नारों से अध्यापकों में और उनकी शिक्षण-वृत्ति में जान भी फूँका जाता है।   

शिक्षक दिवस पर प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और उच्चतर विद्यालयों में, महाविद्यालयों में भी, विविध कार्यक्रम आयोजित होते हैं। अध्यापकों को सम्मानित किया जाता है। वरिष्ठ और उत्तम शिक्षकों को पुरस्कृत भी किया जाता है। और तो और, अपने भविष्य को सँवारने वाले अध्यापकों की अमूल्य सेवा का अंगीकार करना और उनकी अच्छाइयों व खूबियों के मद्देनज़र उनके साथ बेहतर रिश्ता कायम करना इस दिन का संकल्प है, होना भी चाहिए।

जहाँ तक शिक्षा का सवाल है, इस दुनिया का सबसे पहला विद्यालय परिवार है और सबसे बड़े शिक्षक माँ-बाप हैं। बच्चों को इन्सानियत का संस्कार देना और इन्सान बनने की राह में प्रवृत्त करना उनका काम है, व्यवस्थित रूप से जीने का सलीका सिखाना शिक्षक का भी। सपना देखें, कल्पना करें, सीखें, परिष्कृत हों, बेहतरीन इन्सान बनें, आदि की दिशा में अपनी संभावनाओं को विकसित कर अपनी जि़ंदगी को आयाम दें, विद्यार्थियों के लिए ऐसी प्रेरणा का अटूट सोता बने रहना शिक्षक का अहम् किरदार है।

अध्यापन एक पेशा हीं है। विद्यालय कहीं भी दूसरा काम नहीं मिलने पर आसानी से आजीविका कमाने के चक्कर में आने वाले की धर्मशाला नहीं है। शिक्षण एक बुलावा है और एक कला है। शिक्षण जीवन-शैली है, जीवन का धर्म है और जीवन का मिशन भी। अध्यापन विद्या-मंदिर की पूजा है, साधना है। भला इन्सान ही शिक्षण के इस मंदिर में प्रवेश करे, यही कायदा है। ज्ञान, समझ, समर्पण का भाव, मूल्य-चेतना, आदि शिक्षक की पूँजी है, शिक्षक बनने की योग्यता भी। जाति, रंग, लिंग, धर्म, धन-संपत्ति, आदि को लेकर छात्र-छात्र का फर्क नहीं करते हुए शिक्षार्थी में ‘बाल-ईश्वर’ के ही दीदार करना और उसकी साधना में दिल से लगे रहना अध्यापक का अहम् कर्तव्य है। 

इसके अलावा, विश्व के कुछ महान शिक्षकों में ईसा मसीह, मुहम्मद, कृष्ण, राम, कन्फ्यूशस, ज़ोरोआस्त्रूस, गुरु नानक, गौतम बुद्ध, महावीर जैन, मूसा, बहा उल्लाह, आदि गिनाये जाते हैं। ईसा प्यार, सेवा, माफी, बराबरी, साझेदारी, पारिवारिक भावना, आदि की शिक्षा देते हैं। कृष्ण निष्काम कर्म साधना, खेल भावना, आदि का पाठ पढ़ाते हैं। राम मर्यादा और अनुशासन में रहने की हिदायत देते हैं। कन्फ्यूशस नैतिक मूल्यों व व्यवहार की तालीम पेश करते हैं।

साथ ही, ज़ोरोआस्त्रूस ‘अच्छे विचार, बात और आचार’ की नसीहत देते हैं। गुरु नानक ‘संगत और पंगत’ की सीख देते हैं। गौतम बुद्ध मध्यम मार्ग और ज्ञानोदय की बातें सिखाते हैं। महावीर अहिंसा और अनेकांतवाद का रास्ता बताते हैं। मूसा ने आस्था के तौर-तरीके सिखाते हैं। बहा उल्लाह विश्व समाज का नागरिक बनने की बात करते हैं। ऐसे महागुरुओं के प्रेरणादायक मूल्यों से हासिल होता सर्व धर्म और पूर्णता का भाव शिक्षक की गुरु बनने की राह में पाथेय और पोषण हैं, इसमें कोई शक नहीं है। 

निचौड़ में, शिक्षण मनुष्य-निर्माण, राष्ट्र-निर्माण और समाज-निर्माण का त्रिवेणी-संगम है। खुद बदलते हुए बदलते हुए वक्त को दिशा देने के लिए अगली पीढ़ी को प्रेरणा देना, इस ओर उसे जगाना, प्रवृत्त करना और सक्षम बनाना शिक्षक की भूमिका है। ‘जीने की कला’ सिखाने वाला शिक्षक नहीं, गुरु होता है और वह अपनी ही गुरुता के हवाले ही जीवन के मूल्यों को सिखाता है। उसके लिए महात्मा कबीर का कहना है, ‘‘सद्गुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार। लोचन अनंत उघाडिय़ा अनंत दिखावणहार’’। जो शिक्षक गुरु बनने की राह पर चलता है, वही असल में सार्थक और सफल शिक्षक होगा। वही शिक्षा, शिक्षण और शिक्षार्थी के साथ-साथ विद्यालय, ज्ञान और इन्सानियत की गरिमा बनकर रहेगा। 

शिक्षक दिवस के पुनीत मौके पर इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, की तरफ से मैं भारत के और दुनिया के सभी शिक्षक बहनों व भाइयों को शिक्षक दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और मंगल कामनाएँ पेश करता हूँ। आप लोग शिक्षक से गुरु बनते जायें, विद्यार्थियों के दिल में सदैव राज करते रहें तथा उनके, देश के व समाज के भविष्य का निर्माण करते रहें। इस दिशा में, ईश्वर आप लोगों को सदैव आशीर्वाद देता रहे।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), and ‘www.ihpsindia.org’ (o); ब्लॅग: https://drmdthomas.blogspot.com’ (p); सामाजिक माध्यम: ‘https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p) and ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p)  और दूरभाष: 9810535378 (p).

 

 

  

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