ओणम् इन्सान-इन्सान में समभाव बढ़ाये

 

ओणम् 2021 / 21 अगस्त / लेख

ओणम् इन्सान-इन्सान में समभाव बढ़ाये

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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21 मई को केरल का पर्व ‘ओणम्’ मनाया जा रहा है। यह पर्व मलयालम् पंचांग का पहला माह ‘चिंगम्’ में आता है, जो कि ईसवीं सन् के अगस्त-सितंबर में होता है। बारिश का मौसम खतम होने के बाद आने से यह महीना बहुत सुहावना समय होता है। ओणम् नये साल के शुरू होने का प्रतीक भी है। चावल की फसल के कटने के बाद खुशी मनाने का मौका भी है यह। ‘ओणम्’ शब्द ‘समृद्धि’, समारोह’, आदि के पर्याय के रूप में भी जाना जाता है। ज़ाहिर तौर पर यह केरल का सबसे बड़ा पर्व है।

‘ओणम्’ मूल रूप से हिंदू परंपरा का पर्व है। लेकिन, यह पर्व ‘धर्म-निरपेक्ष’ तौर पर ईसाई, मुसलमान, आदि सभी समुदायों द्वारा मनाया जाता है। मलयालम् बोलनेवालों के पर्व के रूप में ओणम् की पहचान बनी हुई है। छोटा प्रांत होकर भी केरल के लोग भारत के सभी प्रांतों में ही नहीं, दुनिया के करीब-करीब सभी देशों में मौज़ूद हंै। वे जहाँ-जहाँ रहते हैं, वहाँ-वहाँ ओणम् का पर्व भी मनाया जाता है। मैं समझता हूँ, केरल को असल में ‘गॉड्स ओन कंट्री’ या ‘ईश्वर का देश’ कहलाने के पीछे यह भी यह अहम् खूबी है।

‘ओणम्’ एक 10 दिनी पर्व है। दसों दिनों के अलग-अलग नाम भी हैं। वे हैं ‘अत्तम, चित्तिरा, चोदी, विशाखम्, अनिज़म्, त्रिकेता, मूलम्, पूरडम्, उत्राडम् और तिरुओणम्’। इनमें ‘तिरुओणम्’ या पुनीत ओणम् सबसे खास दिन है। पवित्र नदी ‘पंपा’ में स्नान करना ओणम् की अहम रस्म है। ओणम् नये कपड़े के लिए भी मशहूर है। ओणम् के दिन लोग पारंपरिक वेश-भूषा पहनते हैं, जैसे ‘कसउ साड़ी’ महिलाओं के लिए और ‘धोत्ती-कुरता’ पुरुषों के लिए।

कई प्रकार के कार्यक्रम ‘ओणम्’ के अंग बने हुए हैं, जैसे ‘घर की साफ-सफाई, खरीददारी, फूलों की रंगोली, विशेष पूजा-अर्चना, सांस्कृतिक कार्यक्रम, गीत-संगीत, नाच, खेल-कूद, मुखौटा खेल, नौका दौड़, रस्साकशी, प्रतियोगिताएँ, ओणम् भोजन, आदि। करीब-करीब इन सभी कार्यक्रमों में, खास तौर पर ओणम् भोजन में, सभी समुदाय के लोगों को बुलाया जाता है, यह ओणम् पर्व के सर्व समुदाय और सार्वजनिक स्वभाव का पक्का सबूत है, और बेहद सराहनीय भी।   

‘ओणम् महाभोजन’ केले के पत्ते पर परोसा जाता है। ओणम् पर शाकाहारी भोजन की परंपरा है। लेकिन, आदिवासी समूहों में मछली और गोश्त भी खाये जाते हैं। भोजन नौ चरणों में होता है, यही रिवाज़ है। साथ ही, समृद्धि के प्रतीक के रूप में मौसमी तरकारियाँ, खट्टे-मीठे पकवान, आदि मिलाकर कुछ 24 थालियों का परोसा जाना मौके का रस्म और कायदा है। कहावत है, ‘‘कानम् विट्टुम् ओणम् उण्णणम्’’, याने यदि ज़रूरत पड़े, तो ‘अपनी ज़मीन बेचकर भी ओणम् खाना चाहिए’। ओणम् महाभोजन कितना महत्वपूर्ण है, यह कहावत उसकी ओर इशारा है।   

ओणम् समारोह की शुरूआत तृक्काकरा मंदिर की ओर एक जुलूस से होती है, जिसे ‘अत्ताचमयम्’ कहते हैं। हाथियाँ, झाँकियाँ, लोक कलाएँ, संगीत, आदि इस जुलूस के खास अंग हैं। इस जुलूस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस में महाभारत और रामायण के साथ-साथ बाइबिल की कहानियों पर भी झाँकियाँ प्रस्तुत होती थीं। धार्मिक ‘सद्भाव और सामाजिक तालमेल’ की पहचान बनी यह जुलूस ओणम् की विशेषता है। तब जाकर केरल सांप्रदायिक सद्भाव के लिए बहुत मशहूर रहा है। 

ओणम् के पीछे एक मज़ेदार कहानी है। मावेली या ‘महाबलि’ नामक एक असुर राजा केरल प्रदेश में शासन किया करते थे। विष्णु ने वामन का अवतार लेकर महाबलि से तीन कदम रखने की जगह माँगी। दो कदम में वामन ने पूरी धरती और आकाश को अपने वश में किया। तीसरे कदम के लिए जगह पूछे जाने पर अपनी शालीनता में महाबलि ने अपना सिर ही पेश किया। लेकिन, वामन ने महाबलि के सिर पर कदम रखकर उन्हें पाताल में पहुँचा दिया। खैर, सालाना तौर पर अपनी प्रिय प्रजा से मिलने के लिए महाबलि आते हैं। यही ओणम् की परंपरा है।

जहाँ तक राजा महाबलि का सवाल है, वे अपने राज्य में बहुत लोकप्रिय रहे। आपके बारे में यह आम बात रही कि आप मानवीय गुणों के बहुत धनी थे। आप दयालु, उदार, दानी और ईमानदार थे। आपके राज्य में किसी भी चीज़ की कमी नहीं रही। साथ ही, सभी इन्सान बराबर थे। चारों ओर ‘समृद्धि और खुशहाली’ भरी-पूरी थीं। इसलिए, वे लोगों के लिए बहुत प्रिय थे। शायद इसलिए वे छल के शिकार बने। लेकिन, ‘ओणत्तप्पन’ के रूप में अपनी पुरानी प्रजा के बीच में आना उनके लिए और अपनी प्रजा के लिए एक सुखद मिलन के रूप में औणम् का पर्व बना हुआ है। 

दोस्तो, ‘गॉड्स ओन कंट्री’ के पर्व ‘ओणम्’ केरल के साथ मिलकर भारत के कुछ सभी शहरों व दुनिया के कुछ सभी देशों में मनाये जाने वाला मलयालम् पर्व है। यह ओणम् पूरे भारत के लिए और समूची दुनिया के लिए प्रेरणा का सबब बने। यह हम लोगों की जि़ंदगी में कुछ खास रौनक लेकर आये। हम लोग अपनी निजी और सामाजिक जीवन में एक नयी रौशनी, नज़रिया, समझ और व्यवहार लेकर उभरें। ओणम् हम लोगों की जि़ंदगी में एक नया अध्याय जोड़े। इस प्रकार, ओणम् हम सबके लिए अपने आप में ‘बराबरी, समृद्धि, खुशी, साझेदारी’, आदि की इन्सानी तहज़ीब बनकर आये। यही पर्व ओणम् की सार्थकता है।  

इतना ही नहीं, ओणम् जाति, लिंग, रंग, वर्ग, भाषा, धर्म, पसंद, सोच, खान-पान, वेश-भूषा, रहन-सहन, आदि को लेकर इन्सान-इन्सान में फर्क करने की हम लोगों की आदत को खतम करे या कुछ कम करे। हम लोग राजा महाबलि के शासन के राज़ से प्रेरणा लेकर समाज के हर इन्सान के जीवन में हरियाली और खुशहाली फैलाने की ओर संकल्प करें। औणम् भोजन का भाव आपनाकर हम लोग अपने-पराये, अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, बड़े-छोटे, आदि की निचली सोच से ऊपर उठकर सबके साथ मिलकर खाना खाने की ईश्वरीय आदततहज़ीब में खुद को ढाल सके। ओणम् 2021 इस रूप में सबके लिए यादगार साबित हो जाये।

साथ ही, ‘ओणम्’ के पुनीत मौके पर राजा महाबलि के राज का राज़ हमारे देश व समाज में हर इन्सान को तरो-ताज़ा करे और इन्सान-इन्सान में सद्भाव और बराबरी की भावना बुलंद करे। ओणम् महोत्सव से प्रेरणा पाकर देश व समाज में लोग सांप्रदायिक सदभाव, सर्व धर्म और सर्व समुदाय सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को भावना को मज़बूत करने की दिशा में प्रवृत्त हो जायें। महाबलि की जय हो। ओणम् की खुशियाँ साल भर बनी रहें। 

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), and ‘www.ihpsindia.org’ (o); ब्लॅग: https://drmdthomas.blogspot.com’ (p); सामाजिक माध्यम: ‘https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p) and ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p)  और दूरभाष: 9810535378 (p).

 

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