आंबेडकर अपने आप में एक बड़ी मिसाल है!

 आंबेडकर जयंती 2022 / 14 अप्रेल / लेख  

आंबेडकर अपने आप में एक बड़ी मिसाल है!

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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14 अप्रेल को ‘आंबेडकर जयंती’ मनायी जा रही है। डॉ. भीम राव आंबेडकर उनका पूरा नाम था। वे ‘बाबा साहेब’ के नाम से भी जाने जाते हैं। यह दिन ‘समानता दिवस’ भी कहलाता है, इसलिए कि आप ने पूरी ज़िंदगी बराबरी की लड़ाई लड़ी थी। इस दिन को ‘ज्ञान दिवस’ कहने की रिवाज़ भी है, क्योंकि आप बहुत बड़े विद्वान रहे। विश्व के 100 से ज्यादा देशों में आपकी जयंती मनायी जाती है।

डॉ. आंबेडकर भारत के संविधान के रचयिता रहे। आप दुनिया के सबसे बड़े और जटिल संविधान के रचयिता भी हैं। आप ‘संविधान के पिता’ कहलाते हैं। आप संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष चुने गये थे। आप कानून विद्, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, लेखक और समाज सुधारक भी थे। आप आज़ाद भारत के पहले कानून मंत्री बने। आपने वित्त आयोग की स्थापना भी की। मृत्यु के 34 साल बाद, याने 1990 में, आप देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाज़े गये थे।  

डॉ. आंबेडकर का जन्म 14 अप्रेल 1891 में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के मउ में हुआ था। आप अपनी माँ-बाप के चौदहवीं संतान रहे। आप सेना में भरती हुए थे। पिताजी की बीमारी के कारण आपको सेना की नौकरी छोडऩी पड़ी। पिताजी के निधन के बाद आप पढ़ाई के लिए अमेरिका के कोलंबिया चले गये। आपने अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में एम. ए. किया। आप कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लेंड भी गये। 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में आपने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। 6 दिसंबर 1956 को आपकी मौत भी हुई थी।

भारत लौटकर आपने महाराजा कोल्हापुर के सहयोग से ‘मूक नायक’ नामक पाक्षिक पत्र शुरू किया। आप ‘बहिष्कृत’ नामक पाक्षिक और ‘जनता’ नामक साप्ताहिक से जुड़े भी रहे। आप आम लोगों को जगाने लायक लेख लिखने लगे। आपने महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक अधिकारों की वकालत की। आप अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सिविल सेवाओं, विद्यालयों, महाविद्यालयों और नौकरियों में आरक्षण के लिए समर्थन हासिल करते रहे। 

डॉ. आंबेडकर सामाजिक बद्लाव के हिमायती रहे। छुआछूत को खतम करने में आंबेडकर का बड़ा हाथ रहा। आपने 1928 में सार्वभौम वोट प्रणाली की वकालत की थी। आपने महिलाओं के लिए बराबर वोट के अधिकार को लेकर सरकार से इस्तीफा दिया। खैर, डॉ. आंबेडकर भारत के मुख्य नेताओं व महापुरुषों में शुमार हैं। आप कुशलता, ईमानदारी, अहिंसात्मक सोच, नेतृत्व, दूरदृष्टि, आदि के लिए मशहूर रहे। आपकी अनेक उपाधियाँ, उपलब्धियाँ और योगदान इस बात का जीता-जागता सबूत है कि मौका पाने पर किसी भी जाति या वर्ग के लोग उच्च स्तरों पर पहुँच सकते हैं।

दलित का जहाँ तक सवाल है, दलित की कहानी बस दलित ही जानता है। दलित अछूत माना जाता था। डॉ. आंबेडकर खुद दलित होकर दलित की सभी पीड़ाओं से होकर गुज़रे थे। आपने गरीबी और सामाजिक तिरस्कार के शिकार होकर तड़पते दलित को कुछ सिर उठाने लायक बनाया। आप समाज में दलितों की आज़ादी, अधिकार, बराबरी, सम्मान व इज़्ज़त के लिए आजीवन लड़े। ऊँच-नीच का भाव खतम हो और इन्सान-इन्सान में सदैव दोस्ताना भाव रहे, यह आपके आंदोलन की मंजिल रही।   

भारतीयता को मज़बूत करने के लिये डॉ. आंबेडकर डटकर लगे रहे। आपका कहना था, ‘‘हम लोग भारतीय हैं, पहले और आखिरी में’’। मतलब है, भारतीय को जाति, प्रजाति, वर्ग, लिंग, मज़हब, भाषा, विचारधारा, खान पान, वेशभूषा, संस्कृति और सामाजिक परंपराओं को लेकर बँटे हुए नहीं रहना चाहिए। एक देश के नागारिक के तौर पर भारत के हर नागरिक को मिल-जुल कर रहने की तहज़ीब पर अमल कर लेना चाहिए।

डॉ. आंबेडकर अपने आप में एक बड़ी मिसाल हैं। दलित होकर भी आपके बहु-आयामी और महान योगदान का जायज जवाब यह होगा कि कोई भी दलित कहीं भी और कभी भी गैर-बराबरी और बेइज़्ज़ती का शिकार कतई न हो। दलित समुदाय के लिए आप जो कुछ भी रहे उसके लिए दलित लोग आपको भगवान का दर्जा देते हैं। भारत के लिए भी आप जो कुछ भी रहे, उसके लिए भारत के जि़म्मेदार और आम लोगों को उनसे प्रेरणा लेकर एक बेहतर भारत को तामीर करने की दिशा में समर्पित होना होगा।

आंबेडकर जयंती के पुनीत मौके पर भारत के सभी नागरिकों को चाहिए कि वे ऊँच-नीच और अछूत के भाव से ऊपर उठें तथा इन्सान-इन्सान को नागरिक होने के नाते बराबरी और इज़्ज़त दें। साथ ही, सही मायने में भारतीय बनकर रहें, उसके लिए वे डॉ. आंबेडकर से भरपूर प्रेरणा भी लें।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), and ‘www.ihpsindia.org’ (o); ब्लॅग: https://drmdthomas.blogspot.com’ (p); सामाजिक माध्यम: ‘https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p) and ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p)  और दूरभाष: 9810535378 (p).

      

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