होली के पर्व से जीवन में रंग आये

 होली / 28 मार्च 2021

होली के पर्व से जीवन में रंग आये

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस

निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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28 मार्च को भारत में ‘होली’ का त्योहार मनाया जा रहा है। यह ‘रंगों का पर्व’ है। इसे ‘वसंत का त्योहार’ भी कहते हैं। सरदी के बाद वसंत का स्वागत करना और उसके आगमन को मनाना इसका मकसद है। बुराई पर अच्छाई की जीत इसका नैतिक और आध्यात्मिक तत्व है, हँसी, खुशी और प्यार इस लोकप्रिय त्योहार का सामाजिक भाव भी।

होली का त्योहार खास तौर पर भारत और नेपाल में मनाया जाता है। विविध प्रदेशों में इस त्योहार के अलग-अलग नाम हैं, जैसे ओडिषा में ‘डोल पूर्णिमा’, पंजाब में ‘होला मोहल्ला’ और दक्षिण भारत में तोलुना। कहा जाता है कि चौथी सदी से इस त्योहार को मनाये जाने की परंपरा है।

फसल की कटाई के बाद शुक्रिया-भाव आपस में इज़हार करना इस पर्व का ज़मीनी मकसद है। नयी फसल के दाने से बने अलग-अलग पकवान, मिठाई और खाने से लोग एक दूसरे की खातिरदारी करते हैं। मावे और मैदे के बने ‘गुझिया’ होली का खास पकवान भी है। खाना और खिलाना इस पर्व के मुख्य हिस्सों में है।

होली असल में दो दिनों का पर्व है। पहले दिन ‘होलिका दहन’ और दूसरे दिन ‘धुलेंडी’ या ‘रंगों का खेल’ है। रस्म के तोर पर बुराई का प्रतीक ‘होलिका’ को पहले दिन शाम को जलाया जाता है। कहानी के अनुसार विष्णु के भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका को खतम किया जाता है। तब जाकर बुराई पर अच्छाई की जीत होली का मुख्य भाव बना। 

दूसरे दिन रंग खेला जाता है। ढोलक, झाँझ और मंजीरा के साथ नाच, गाने और रंग में डूब जाना ‘धुलेंडी’ मनाने का तरीका है। संगीत के माहौल में हँसी-खुशी को ज़ाहिर करते हुए लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल, आदि फेंकते हैं। माथे और शरीर पर रंग लगाते, डालते या छिडक़ते हुए घर-घर जाकर भी लोग रंग खेलने का मज़ा लेते हैं। उत्तर भारत में होली के पाँचवें दिन को ‘रंगपंचमी’ के रूप में भी मनाया जाता है।

रहे पर्व के कायदे के तौर-तरीके, यह भी देखा जाता है कि कुछ लोग दूसरों पर ज़बरदस्ती से रंग डालते हैं। कोई-कोई रंग के बदले डामर, पेंट, आदि घातक चीज़ भी डालते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग पुरानी रंजिश को निकालते हुए दूसरों के साथ बदतमीज़ी भी करते हैं। होली का त्योहार बुराई का आलम और मज़ाक न बने, इसके लिए ऐसी बदमाशियों से सख्ती से निपटाया जाना ज़रूरी है। 

होली का पहला पैगाम है ‘खेल भावना’। जि़ंदगी की गंभीरता से कुछ समय के लिए निजात पाने के लिए खेल भावना ज़रूरी है। खास तौर पर आजकल के भाग-दौड़ की जि़ंदगी में नसों को जकड़न​ से बचाने के लिए कुछ मस्ती की भावना बेहद काम की है। होली का त्योहार इस मामले में कुछ चिकनाई का असर करता है। 

होली का दूसरा संदेश है ‘बराबरी की भावना’। रंग किसी का भी नहीं, लेकिन सबका है। रंग की कोई जाति, वर्ग, धर्म, लिंग, भाषा, आदि भी नहीं है। रंग के खेल में बड़े-छोटे का फर्क नहीं होता। बच्चे-बालिग-बूढ़े सभी बगैर संकोच के घुल-मिलकर रंग खेलते नज़र आते हैं। पद, उम्र, आमदनी, वर्ग, विश्वास, आदि का फर्क किये बगैर समाज में बराबरी की भावना कायम रहे, यह भी होली का खास संदेश है। 

होली का तीसरा पैगाम है ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’। यह तो ज़ाहिर बात है देश व समाज के रोज़मर्रा के जीवन में व्यवहार आदर्श से काफी बिछुड़ जाता है। अक्सर झूठ, बुराई, मनमौज़ी, बदमाशी और हैवानियत ही हावी रहती हैं। सच्चाई, अच्छाई, सद्भाव, इन्सानियत और ईश्वरता की जीत हो सके, यही जीवन का कायदा है। साथ ही, पुुराने मनमुटाव, कटुता और दुश्मनी को भूलकर गले मिलना ही जीत और प्रगति है। इस दिशा में होली का पर्व बाकायदा एक ‘नैतिक और आध्यात्मिक बूस्टर’ है, होना भी चाहिए।

होली का चौथा संदेश है ‘रिश्तेदारी और दोस्ती’। यह भी देखा जा सकता है कि लोग अपनी कुदरती बिरादरी में ही सिमटकर रह जाते हैं। अपनी सोच को अड़ोस-पड़ोस, मुहल्ला, गाँव, नगर, शहर, प्रांत, देश व समाज की ओर बढ़ाया जाना चाहिए। अपने छोटे-छोटे बचकाने दायरों से निकलकर मिल-जुल कर रहने की ओर चलने के लिए तथा ‘साझी संस्कृति’ को मज़बूत करने के लिए होली का पर्व वाकई बहुत ऊर्जा देनेवाली है।

‘होली का त्योहार 2021’ एक सुनहरा अवसर है जब लोग अपने भीतर सकारात्मक, शरीफ और दोस्ताना भाव जगायें तथा आपस में मिलें-जुलें और ज़ाहिर करें। होली के बहु-आयामी पैगाम और उसमें मौज़ूद मूल्यों से हमारा देश व समाज बेहतर और ज्यादा जीने लायक बन सकें, इस दिशा में नागरिकों को जगाने के लिए शासन-प्रशासन व धर्म के नेताओं को पहल करनी भी होगी। अच्छाई की जय हो। सद्भाव की जीत हो।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़नयी दिल्लीके संस्थापक निदेशक हैं।आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकारराष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं।आप किताबलेखव्याख्यानवीडियो संदेशसंगोष्ठीसामाजिक चर्चाआदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

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