गुरु नानक से सच्चा सौदा सीखें

 

गुरु नानक जयंती / 30 नवंबर 2020

गुरु नानक से सच्चा सौदा सीखें

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इन्स्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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30 नवंबर को गुरु नानक जयंती मनायी जा रही है। इस दिन सिक्ख धर्म के प्रवर्तक और आदि गुरु श्री नानक देव जी पैदा हुए थे। इसे गुरु पर्व भी कहते हैं और ज़ाहिर तौर पर यह सिक्ख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है।

बाबा नानक बाल्यकाल से ही अध्यात्म और भक्ति रस में रम जाया करते थे। इसलिए संतों की परंपरा में एक दिव्य आत्मा के रूप में आपका बड़ा नाम है। आप धर्म और समाज में मौजूद कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाया करते थे। इसलिए धर्म और समाज के सुधारक के रूप में आपकी पहचान है।

इन्सान अपनी जि़ंदगी को सार्थक रूप से जी सके, उसके लिए आपका एक तीन-आयामी सूत्र था। वह है ईश्वर को सदैव याद करना, ईमानदारी से अपनी आजीविका कमाना और अपनी कमाई को औरों के साथ साझा करना। ये बातें, मैं समझता हूँ, ऐसे नैतिक मूल्य हैं, जो पंथ-निरपेक्ष तौर पर हर इन्सान के लायक हैं।

साथ ही, ईश्वर के सामने हर इन्सान को बराबर मानना तथा ‘सिंह’ और ‘कौर’ के रूप में स्त्री-पुरुष को बराबर मानना सिक्ख समुदाय की खासियत है। ‘सिक्ख’ सीखनेवाला होता है और ‘गुरु से सीखने का भाव’ सिक्ख के लिए अहम् है। साफ है, ये बातें भी सार्वजनिक मतलब की हैं।

गुरुग्रंथ साहिब सिक्ख समुदाय का धर्मग्रंथ है, जिसे जीवित गुरु का दर्जा हासिल है। यह नानक देव जी के साथ-साथ कई समुदायों के संतों की कविताओं का समाहार है। मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों से भरी-पूरी यह तालीम गुरुबानी के कीर्तन के रूप से गुरुद्वारों की पहचान बनी हुयी है, जो कि बेमिसाल तौर पर हर इन्सान को भक्ति भाव से सराबोर करनेवाली है।

इतना ही नहीं, ‘संगत और पंगत’ सिक्ख जीवन के दो अनिवार्य सिरे हैं। ‘संघ’ से संगत है और ‘पंक्ति’ से पंगत है। दोनों में इन्सानियत का भाव लबालब भरा हुआ है। एक दूसरे से जुड़े रहना और एक दूसरे की मदद करना सामुदायिक भावना है। यही संगत है।

गुरुद्वारे में गुरु के लंगर में ‘कतार’ में बैठे सभी इन्सान बराबर हैं। वे सब एक ही खाना, एक साथ, मुफ्त में खाते हैं, क्योंकि यह गुरु का प्रसाद है। किसी भी भूखे और प्यासे इन्सान को, कभी भी, बगैर कोई फर्क किये, अपनी पेट-पूजा करनी हो, वह मुकाम है ‘गुरु का लंगर’। श्री गुरु नानक जी की चलायी गई यह पुनीत परंपरा, मुझे लगता है, सारी दुनिया के लिए बाकायदा मिसाल है।

खुद, खुदा और दूजे के साथ ‘सच्चा सौदा’ करते हुए जीवन बिताने के लिए तथा सामुदायिक भावना और सेवा भावना के ज़रिये समाज को बेहतर करने के लिए, श्री गुरु नानक जी से प्रेरणा लेनी होगी।

वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह।

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o)सामाजिक माध्यमhttps://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष9810535378 (p).

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