प्रेम का स्वर्णिम नियम ईसा का पैगाम
क्रिस्मस /
25 दिसंबर 2020
प्रेम का स्वर्णिम नियम ईसा
का पैगाम
फादर डॉ. एम. डी. थॉमस
निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़,
नयी दिल्ली
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25 दिसंबर आ गया है। इस दिन, ईसा मसीहा बनकर दुनिया में अवतरित हुए थे। यह ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व तो है ही। यह दुनिया में सबसे ज्यादा तादाद में विविध समुदायों के लोगों को एक साथ लाने वाला पर्व भी है।
ईसा जयंती की रौनक बढ़ाने वाली कुछ चीजें हैं, जो कि कुल मिलाकर सबको पसंद होती हैं। ईसा की पैदाईश का नज़ारा पेश करने वाला ‘क्रिस्मस क्रिब’ या झाँकी, सब लोगों को इनाम देने वाला ‘क्रिस्मस ट्री’, बच्चों में चोकलेट बाँटकर उनके साथ खेलने वाला सांताक्लॉस या संत निकलस, छोटे-बड़े सबके मुँह में मिठास भरने वाला ‘क्रिस्मस केक’ तथा ईश्वरीय निष्ठा को ज़ाहिर करने वाली ‘मोमबत्तियाँ’ उनमें खास हैं।
ज़ाहिर-सी बात है, ‘ईसवीं सन्’ ईसा के जन्म से नाता रखता है, जिसके अनुसार इन्सान का इतिहास ‘ईसा पूर्व और ईसा पश्चात्’ के रूप में दो हिस्सों में जाना जाता है। इसलिए पूरे विश्व में माने जाने वाला यह पंचांग दुनिया के लिए ईसा का एक अहम् योगदान है, ऐसा कहना जायज लगता है।
‘ईसा’ शब्द का अर्थ ‘आज़ाद करना’ है और उनके उपनाम ‘इम्मानुएल’ का अर्थ ‘ईश्वर हमारे साथ’ है। दुनिया में ईसा का मिशन भी यही था -- तरह-तरह की गुलामी से इन्सान को आज़ाद करना तथा हर इन्सान को यह एहसास दिलाना कि ईश्वर हमारे साथ है। साथ ही, ईसा का सबसे बुलंद रूप ‘गुरु’ का था, जो कि इन्सानियत और ईश्वरता के सार्वजनिक मूल्यों के साथ-साथ क्रांतिकारी विचारों का एक बड़ा खज़ाना था।
लिखा गया है, ईसा गौशाला में
जानवरों के बीच पैदा हुए थे। मतलब है, पैदा होने के लिए उन्हें इन्सान का घर नसीब नहीं
हुआ था। खैर, बेघरों, कमज़ोरों, लाचारों तथा हाशिये की ओर सरकाये हुओं की नसीब में
साझा होकर उन्हें इज़्ज़त देना एक अलौकिक करिश्मा नहीं तो क्या है! नतीजा यह भी हुआ,
इन्सान और जानवर के बीच क्या, अमीर और गरीब, बड़ा और छोटा तथा ताकतवर और ताकतहीन के
बीच का असली फर्क भी तमाम हो गया।
ईसा ने अपने जीवन की गहन साधना के बलबूते खुद को पिता-सा ईश्वर के बेटे के रूप में अनुभव किया तथा हर इन्सान को उसका बेटा और बेटी घोषित किया। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि हर इन्सान एक दूजे के लिए भाई और बहन है। इन्सान के समूचे समुदाय को एक ‘ईश्वरीय परिवार’ बनाने की यही आपकी आध्यात्मिक कला थी, जिसे भारत में हम लोग ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ कहते हैं।
साथ ही, आप ने ईश्वर के पिता-स्वभाव को कुछ इस प्रकार प्रकट किया कि वह भले और बुरे में फर्क नहीं करते हुए दोनों को सूरज की रौशनी और बारिश का पानी बराबर देता है। ‘समभाव’ की ‘सौ फीसदी’ ही ईश्वर की पूर्णता है, यही इन्सान की आध्यात्मिक साधना की बुनियाद और मंजिल भी।
‘प्यार’ को ज़िंदगी के केंद्र में रखते हुए तथा इंसान और ईश्वर दोनों की दिशाओं में तालमेल बना रहे, इसके लिए ईसा ने दो स्वर्णिम नियम दिये। पहला है, ‘जैसा व्यवहार तुम दूसरों से चाहते हो, वैसा ही व्यवहार उसके साथ भी किया करो’। दूसरा है, ‘तुम ने इन्सान के लिए जो कुछ किया, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, वह तुम ने ईश्वर के लिए ही किया’। उनके अनुसार ईश्वर की तरफ इन्सान का रास्ता साथी इन्सानों के ज़रिये ही है।
इतना ही नहीं, ईसा ने गुरु होकर भी विनम्र होकर अपने चेलों के पैर धोये तथा सलीब पर टंगे होकर अपने गुनहगारों को माफ किया। सेवा और माफी की ऐसी चरम मिसाल दुनिया में पहली बार इन्सानी और खुदाई ऊँचाइयों की निशानियाँ बनीं। साथ-साथ, ईसा की असीम ‘गुरुता’ का सबूत भी पेश हुआ, जो कि बाकायदा काबिल-ए-तारीफ है।
इस प्रकार, गुरु, भाई, दोस्त, साथी, हकीम, नये जीवन का सोता, आदि तमाम रूपों में ईसा अपने जीवन में सबके लिए ‘खुश खबरी’ बने रहे। खास तौर पर मुर्झाये हुओं और मुर्दों को नयी ज़िंदगी देते-देते ईसा ने अपने मसीहाई जीवन को एक अनोखे मिशन के रूप में चरितार्थ किया, जो कि अपने आप में एक ज़बर्दस्त परंपरा है।
ईसा के जन्मोत्सव के पूनीत
मौके पर सबके लायक पिता के रूप में ईश्वर की पूर्णता को सम्यक रूप से साधने के लिए
तथा प्यार, सेवा, माफी, बराबरी, साझेदारी और पारिवारिक भावना के ज़रिये अपनी जि़ंदगी
तथा समाज को बेहतर और बेहतरीन करने के लिए, ईसाइयों को ही नहीं सबको ईसा मसीहा से प्रेरणा
और ताकत लेनी होगी।
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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।
निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: ‘www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o); सामाजिक माध्यम: ‘https://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल: ‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष: 9810535378 (p).
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