दीपावली पर देश में सामाजिक रौशनी फैले

 

दीपावली / 14 नवंबर 2020

दीपावली पर देश में सामाजिक रौशनी फैले

फादर डॉ. एम. डी. थॉमस 

निदेशक, इन्स्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली

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30 नवंबर को दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। दीपावली दीपों की आवली है, क्रम है, मानो चारों ओर रोशनी की कतार लगी हो। जहाँ-जहाँ नज़र दौड़ायी जाय, वहाँ-वहाँ रौशनी ही रौशनी दिखाई देती है। बस, यही दीपावली का भाव है। यह असल में रौशनी का पर्व है।

साफ-सफाई होती है, अच्छे कपड़े पहने जाते हैं, दिये जलाये जाते हैं, मिठाइयाँ बनती हैं, इनाम दिये जाते हैं, बच्चों की किलकारियाँ होती हैं, ये सब दीपावली की निशानियाँ हैं।

संदर्भ है, विजयादशमी के पंद्रहवाँ दिन बुराई पर अच्छाई की जीत फिर मनाना, फसलों की कटाई के बाद नये चावल से अलग-अलग पकवान बनाकर रिश्तेदारों, दोस्तों व पड़ोसियों के साथ साझा करना तथा नये साल की शुरूआत करना।

दीपावली भारत का सबसे बड़ा पर्व है। इसमें मज़हब, भाषा, प्रांत, समुदाय, वर्ग, आदि का फर्क नहीं है। सभी समुदायों के साथ मनायी जाय और भारत की एकता को मज़बूत किया जाय, यही दीपावली की अहमियत है।

अंधेरे से उजाले की ओर सफर करना दीपावली का सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक भाव है। हम जानते हैं कि हमारे देश व समाज में ऊँच-नीच, अपना-पराया, सही-गलत, आदि का भाव बहुत है। साथ ही, नफरत, बलात्कार और हत्या, अज्ञान​, अंधविश्वास और झूठ, अलगाव, मनमौज़ी और गुलामी, आदि का काफी बोलबाला भी है।

ये सब अंधेरे की छाया के भिन्न-भिन्न पहलू हैं। हमें ज्ञान व सच्चाई की ओर जाना होगा, आज़ादी और बराबरी की ओर जाना होगा, सद्भाव और प्यार की ओर जाना होगा तथा साझी संस्कृति और वसुधैव कुटुंबकम् की ओर जाना होगा। तभी दीपावली हमारे लिए सार्थक होगी।

बात यह भी है कि हमारे आस-पास काफी तादाद में ऐसे लोग रहते हैं, जो रोटी, कपड़ा, मकान, आदि बुनियादी चीज़ों के लिए तरसने वाले हैं, जो दलित हैं, दबे हुए हैं, हाशिये की ओर सरकाये हुए हैं, लाचार हैं और मज़बूर हैं। दीपावली का पर्व उन बदनसीबों के लिए क्या है? मैं जानता हूँ, यह एक पेचीदा सवाल है।

फिर भी, मेरे देशवासी दोस्तों, आप लोग दीपावली की खुशी मनाते समय उन लाचार बहनों व भाइयों के साथ कुछ-न-कुछ साझा करना न भूलें। दीपावली उनके लिए भी कुछ बने। मुझे लगता है, तब दीपावली की खुशी कई गुना बढ़ेगी।

दीपावली ऐसा मंगलमय अवसर है जब एक बेहतर भारत और समाज बनाने के लिए नयी प्रेरणा और ऊर्जा हासिल की जा सके। देश व समाज में प्यार-मुहब्बत की आध्यात्मिक और सामाजिक रौशनी फैले और सबको ज्यादा जीने लायक जगह मुहैया हो जाय, इसी में दीपावली की सार्थकता है। सर्वेषां मंगलं भवतु़। सर्वेषां सुखं भवतु।। 

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लेखक इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मनि एण्ड पीस स्टडीज़, नयी दिल्ली, के संस्थापक निदेशक हैं। आप कुछ 40 वर्षों से सर्व धर्म सरोकार, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समन्वय को बढ़ाने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं। आप किताब, लेख, व्याख्यान, वीडियो संदेश, संगोष्ठी, सामाजिक चर्चा, आदि के ज़रिये उपर्युक्त मिशन में लगे हैं।

निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा आप को देखा-सुना और आप से संपर्क किया जा सकता है। वेबसाइट: www.mdthomas.in’ (p), ‘https://mdthomas.academia.edu’ (p), ‘https://drmdthomas.blogspot.com’ (p) and ‘www.ihpsindia.org’ (o)सामाजिक माध्यमhttps://www.youtube.com/InstituteofHarmonyandPeaceStudies’ (o), ‘https://twitter.com/mdthomas53’ (p), ‘https://www.facebook.com/mdthomas53’ (p); ईमेल‘mdthomas53@gmail.com’ (p) और दूरभाष9810535378 (p).

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